मुख्य बिंदु:
- आयोजन: 2025 समर FISU वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स, 16 से 27 जुलाई तक जर्मनी के राइन-रूहर में।
- भागीदारी: 150 से अधिक देशों के लगभग 10,000 छात्र-एथलीट और अधिकारी।
- भारतीय दल: 300 से अधिक एथलीटों का मजबूत दल, जिसमें पोल वॉल्ट के राष्ट्रीय रिकॉर्ड धारक देव मीणा जैसे सितारे शामिल।
- भारत का लक्ष्य: चेंगदू 2023 में 26 पदकों के ऐतिहासिक प्रदर्शन को पार करने पर निगाहें।
राइन-रूहर, जर्मनी: दुनिया के सबसे बड़े मल्टी-स्पोर्ट्स आयोजनों में से एक, FISU वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स का 2025 संस्करण बुधवार, 16 जुलाई को जर्मनी के राइन-रूहर मेट्रोपॉलिटन रीजन में भव्यता के साथ शुरू हो गया है। 27 जुलाई तक चलने वाले इस खेल महाकुंभ को विश्वविद्यालय स्तर के एथलीटों का ‘ओलंपिक’ भी कहा जाता है, जहाँ भविष्य के सितारे अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हैं। इस बार 150 से अधिक देशों के करीब 10,000 खिलाड़ी और अधिकारी 18 विभिन्न खेलों में अपनी चुनौती पेश कर रहे हैं, जो इसे अब तक के सबसे बड़े आयोजनों में से एक बनाता है।
मजबूत भारतीय दल और उम्मीदों का बोझ

भारत ने इस बार FISU वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स के लिए 300 से अधिक छात्र-खिलाड़ियों का एक विशाल और प्रतिभाशाली दल भेजा है। इस दल में कई ऐसे चेहरे हैं जो राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुके हैं और अब अंतरराष्ट्रीय मंच पर चमकने को बेताब हैं। इनमें सबसे प्रमुख नामों में से एक पोल वॉल्ट के सेंसेशन देव मीणा हैं, जिन्होंने हाल ही में राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़कर सनसनी मचा दी थी। देव मीणा जैसे कई उभरते सितारों के लिए यह उनके करियर का अब तक का सबसे बड़ा मंच होगा। यहाँ वे न सिर्फ पदक के लिए प्रतिस्पर्धा करेंगे, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिलने वाला अनुभव उनके भविष्य के लिए मील का पत्थर साबित होगा।
आज, 17 जुलाई को, भारतीय एथलीट कई महत्वपूर्ण स्पर्धाओं में अपनी चुनौती पेश करेंगे। फैंसिंग, ताइक्वांडो, वॉलीबॉल, तैराकी, बैडमिंटन और टेबल टेनिस जैसे खेलों में भारतीय खिलाड़ी पदक के लिए मैदान में उतरेंगे। पूरे देश की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि भारत का यह युवा दल राइन-रूहर में क्या नया इतिहास रचता है और पिछले संस्करण की सफलता को कहाँ तक आगे ले जाता है।
क्या है FISU और इसका मिशन?
कई खेल प्रेमियों के लिए FISU एक नया नाम हो सकता है। FISU का पूरा नाम ‘इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी स्पोर्ट्स फेडरेशन’ (Fédération internationale du sport universitaire) है। यह वह वैश्विक संस्था है जो दुनिया भर में छात्र-एथलीटों के लिए खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन और प्रबंधन करती है। FISU वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स हर दो साल में आयोजित होते हैं और इनका उद्देश्य सिर्फ खेल में उत्कृष्टता हासिल करना नहीं है।
FISU का आदर्श वाक्य है – ‘Excellence in Mind and Body’, यानी ‘शारीरिक और मानसिक उत्कृष्टता’। यह आदर्श वाक्य इस आयोजन के मूल को दर्शाता है, जो खेल के साथ-साथ शिक्षा को भी बढ़ावा देता है। इन खेलों के दौरान विभिन्न शैक्षणिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का भी आयोजन किया जाता है, ताकि खिलाड़ी खेल और पढ़ाई के बीच संतुलन बनाना सीखें और एक-दूसरे की संस्कृति को समझें।
2025 खेलों का कार्यक्रम: नए खेल, नया रोमांच
इस बार के खेलों के कार्यक्रम में कुल 18 खेलों को शामिल किया गया है, जो इसे बेहद प्रतिस्पर्धी बनाता है। इनमें 15 अनिवार्य खेल हैं, जिनमें एथलेटिक्स, तैराकी, बैडमिंटन, बास्केटबॉल, टेबल टेनिस, टेनिस, जूडो, फेंसिंग, वॉलीबॉल, वॉटर पोलो, ताइक्वांडो, तीरंदाजी, डाइविंग और आर्टिस्टिक व रिदमिक जिम्नास्टिक शामिल हैं।
इसके अलावा, मेजबान देश जर्मनी ने तीन वैकल्पिक खेल भी जोड़े हैं, जो इस बार के आकर्षण का केंद्र रहेंगे — 3×3 बास्केटबॉल, बीच वॉलीबॉल और रोइंग। एक और ऐतिहासिक कदम उठाते हुए, पहली बार समर गेम्स में पैरा-स्पोर्ट के रूप में 3×3 व्हीलचेयर बास्केटबॉल को भी शामिल किया गया है, जो खेल में समावेशिता को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।
इतिहास के पन्नों से: यूनिवर्सियाड से FISU गेम्स तक
इन खेलों का एक समृद्ध इतिहास रहा है। इनकी शुरुआत 1959 में इटली के ट्यूरिन शहर से हुई थी। तब से लेकर आज तक, यह आयोजन दुनिया के कई प्रमुख शहरों में सफलतापूर्वक संपन्न हो चुका है। पहले इन खेलों को ‘यूनिवर्सियाड’ (Universiade) के नाम से जाना जाता था, जो ‘यूनिवर्सिटी’ और ‘ओलंपियाड’ शब्दों का मिश्रण था। हालांकि, 2020 के बाद इसे आधिकारिक तौर पर ‘FISU वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स’ कहा जाने लगा, ताकि ब्रांड को एक नई और स्पष्ट पहचान मिल सके।
चेंगदू 2023: जब भारत ने रचा था इतिहास
किसी भी बड़े टूर्नामेंट से पहले पिछले प्रदर्शन का विश्लेषण महत्वपूर्ण होता है। पिछला संस्करण 2023 में चीन के चेंगदू शहर में 28 जुलाई से 8 अगस्त के बीच आयोजित हुआ था। यह आयोजन मूल रूप से 2021 में होना था, लेकिन कोविड-19 महामारी और बाद में रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण इसे दो बार स्थगित करना पड़ा।
उस संस्करण में मेजबान चीन ने अपना दबदबा दिखाते हुए कुल 178 पदक (103 स्वर्ण, 40 रजत और 35 कांस्य) जीतकर पदक तालिका में शीर्ष स्थान हासिल किया था। जापान 93 पदकों के साथ दूसरे और कोरिया 58 पदकों के साथ तीसरे स्थान पर रहा था।
लेकिन चेंगदू गेम्स को भारत के लिए हमेशा याद रखा जाएगा। भारत ने उस संस्करण में अपना अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए कुल 26 पदक जीते थे, जिनमें 11 स्वर्ण, 5 रजत और 10 कांस्य शामिल थे। इस शानदार प्रदर्शन की बदौलत भारत पदक तालिका में सातवें स्थान पर रहा, जो देश के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि थी। इस प्रदर्शन ने न केवल देश का मान बढ़ाया, बल्कि यह भी साबित किया कि भारत के विश्वविद्यालय स्तर के एथलीट दुनिया में किसी से कम नहीं हैं। अब राइन-रूहर में भारतीय दल पर उसी प्रदर्शन को दोहराने या उससे बेहतर करने का दबाव और प्रेरणा दोनों है।





















